गुरुवार, 22 अक्तूबर 2015

बेमतलब की बातें

हां..हां..हां..’’

तू  आजकल खूब हंसती रहती है कहीं किसी से चक्कर चल गया क्या |’’
‘’पगली तू भी न मुझे अपनी तरह समझती है|’’
तो फिर होटों पे इतनी हँसी क्यों झलकती है|’’
|’’सुनना चाहती हैं न तो सुन ,एक बाबा की सलाह अपने छुआरे जैसे बदन में हवा भर रही हूँ
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@ झूठ

-‘’साला झूठ बोलता है’’
‘’तू भी तो बोल रहा है ‘’
‘’कैसे?’’
‘’अबे मैं तेरा साला नहीं, चाचा हूँ| अपनी मां से पूछ...
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@बहाने

‘’तू  साली मुझसे न मिलने के हजार बहाने बनाती है |’’
‘’ क्यों न बनाऊं |’’
‘’
‘’क्यों?’’

‘’ जिस होटल में  तू मिलने की बात करता है ,, वहां मेरा बाप नौकरी करता है |’’

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