रविवार, 25 अक्तूबर 2015

@ ये है भैया......

@ ये है भैया......

‘’’जानत हो जबलपुर वालों के नाम सुन के हर कोई की घिग्गी बंध जात है |’’ उसने ठेठ बुन्देलखंडी अंदाज में कहा |
‘’हमें तो ऐसा कुछ नहीं हुआ |और तो और हम तुम्हारे जबलपुर में ही खड़े हैं |’’
‘’ अरे यार , तुम हमाए जीजा हो , तुमाव कौन बाल-बांका कर सकत है |कोई भूल से सोच भी  लव न ,हम न , उकी ....कर देहें |’’

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