शनिवार, 31 अक्तूबर 2015

चाँद की मांग ,धन-युग

@ चाँद की मांग

'' तुम मुझसे प्यार नहीं करते , झूठे हो ।''- प्रेमिका ''।
''किसने कहा ?''- प्रेमी ।
'' तुमने पिछले सप्ताह कहा था न , तुम कहो तो तुम्हारे चरणों में चाँद लाकर रख दूंगा । अभी तक लाए '
''तुमने लाने के लिए सहमति कहाँ दिया ''
''चलो आज देती हूँ । जाओ| लाओ ।''
'' पगली! तुम औरतों की बुद्धि न, घुटने में होती है ।''
''कैसे ?''
'' देख नहीं रही अभी कृष्ण पक्ष चल रहा है । चाँद तो दिखे , तभी तो लाऊंगा, । फिलहाल शुक्ल पक्ष तक इंतज़ार  कर…।
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@धन युग

'' धन के लिए वह अपमान सहने को तैयार हो जाता है ।''
''क्या बुरा करता है यह तो क्षणिक है '
''कैसे ?''
'' यह धन युग है जनाब , यहाँ हर हाल में सम्मान धन के ही चरण चूमता है । ''
  सुनील कुमार ''सजल''

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