शनिवार, 2 जनवरी 2016

नया साल तुम्हारा अभिनन्दन

नया साल तुम्हारा अभिनन्दन

नए साल
तुम्हारा अभिनन्दन है
अधरों ने
मुस्कुराकर
स्वागत किया
मन ने पिछले दर्दों को
भुला दिया
साँस-सांस में
महक रही
धुल-चन्दन है
सपनों की बस्ती
फिर संवर गयी
मन-अम्बर में उम्मीदों की
चांदनी खिल गयी
आशाओं की कलाई में
खुशियों का

कंगन है  

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