रविवार, 31 जनवरी 2016

लघुव्यंग्य – बस यूँ ही

लघुव्यंग्य – बस यूँ ही

स्थान्तरित होकर आए नए साहब ने सबसे पहले दफ्तर की दीवार पर बड़े अक्षर में लिखवाया –‘’ इस कार्यालय में ध्रूमपान पूर्णत: निषेध है |ध्रूमपान करते पाए जाने पर दो सौ रुपये का जुर्माना किया जाएगा |
लेकिन उनके कक्ष की टेबिल पर राखी  ऐशट्रे  शाम तक सिगरेट की राख से भर जाती | प्रतिक्रया में वे कहते पाए जाते –‘’ सरकारी दफ्तरों में आजकल शब्दों की धकोसलेबाजी की उठापटक ही तो चल रही है |’


सुनील कुमार ‘सजल’ 

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