@ ये है भैया......
‘’’जानत हो जबलपुर वालों के नाम सुन के हर कोई की घिग्गी बंध जात है |’’ उसने
ठेठ बुन्देलखंडी अंदाज में कहा |
‘’हमें तो ऐसा कुछ नहीं हुआ |और तो और हम
तुम्हारे जबलपुर में ही खड़े हैं |’’
‘’ अरे यार , तुम हमाए जीजा हो , तुमाव कौन
बाल-बांका कर सकत है |कोई भूल से सोच भी लव न ,हम न ,
उकी ....कर देहें |’’